Site icon jagrookbharat

वैज्ञानिको ने बताया कितना खतरनाक है च्युइंग गम चबाना, तरह तरह की बीमारियां

च्युइंग गम

च्युइंग गम (Chewing Gum) आजकल कई लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। कुछ लोग इसे तनाव कम करने के लिए चबाते हैं, तो कुछ इसे सांसों की ताजगी या मौखिक स्वच्छता के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस छोटी सी आदत के पीछे कई नुकसान भी छिपे हो सकते हैं? खास तौर पर जब बात माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) की हो, तो यह चिंता और भी गंभीर हो जाती है। इस लेख में हम च्युइंग गम खाने के नुकसान (च्युइंग गम खाने के नुकसान), माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभाव (Microplastics Ke Nuksan), और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों (Microplastics Negative Effects On Health) पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्या च्युइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक्स होते हैं?

हां, यह सच है कि ज्यादातर च्युइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद होते हैं। च्युइंग गम का आधार (Gum Base) आमतौर पर सिंथेटिक पॉलिमर से बनाया जाता है, जिसमें पॉलीइथाइलीन और पॉलीविनाइल एसीटेट जैसे प्लास्टिक यौगिक शामिल होते हैं। ये पदार्थ माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। जब हम च्युइंग गम को चबाते हैं, तो ये सूक्ष्म कण लार के साथ मिलकर पेट में चले जाते हैं। सवाल उठता है कि क्या ये माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं?

Microplastics Negative Effects On Health (माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव)

माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे प्लास्टिक कण होते हैं जो पर्यावरण और खाद्य श्रृंखला में फैल चुके हैं। च्युइंग गम के जरिए ये हमारे शरीर में पहुंचते हैं और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में जमा होकर सूजन, हार्मोनल असंतुलन और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, ये कण जहरीले रसायनों को सोख सकते हैं, जो हमारे लीवर, किडनी और अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं।

Can Microplastics Affect Reproductive System? (क्या माइक्रोप्लास्टिक्स प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं?)

हाल के शोधों ने यह संकेत दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स प्रजनन प्रणाली (Reproductive System) पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये सूक्ष्म कण हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी और महिलाओं में मासिक चक्र में अनियमितता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक माइक्रोप्लास्टिक्स के संपर्क में रहने से प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। च्युइंग गम के नियमित सेवन से यह खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि यह माइक्रोप्लास्टिक्स का एक सीधा स्रोत है।

Microplastics Ke Nuksan (माइक्रोप्लास्टिक्स के नुकसान)

माइक्रोप्लास्टिक्स के नुकसान सिर्फ प्रजनन प्रणाली तक सीमित नहीं हैं। ये हमारे शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करते हैं। कुछ प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं:

  1. पाचन तंत्र पर प्रभाव: माइक्रोप्लास्टिक्स आंतों में जमा हो सकते हैं, जिससे पेट दर्द, अपच और सूजन जैसी समस्याएं होती हैं।
  2. प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना: ये कण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकते हैं।
  3. कैंसर का खतरा: कुछ अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक्स को कैंसरकारी रसायनों से जोड़ा गया है।
  4. नर्वस सिस्टम पर असर: लंबे समय तक संपर्क में रहने से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

च्युइंग गम खाने के अन्य नुकसान

माइक्रोप्लास्टिक्स के अलावा, च्युइंग गम खाने से कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। आइए इन पर नजर डालें:

  1. जबड़े की समस्या: लगातार च्युइंग गम चबाने से टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर (TMJ) हो सकता है, जिससे जबड़े में दर्द और जकड़न होती है।
  2. पेट में गैस: च्युइंग गम चबाते समय हवा निगलने की वजह से पेट में गैस और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।
  3. दांतों का नुकसान: शुगर-फ्री च्युइंग गम में मौजूद कृत्रिम मिठास (Artificial Sweeteners) दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचा सकती है।
  4. सिरदर्द और थकान: ज्यादा चबाने से सिरदर्द और मांसपेशियों में थकान की शिकायत हो सकती है।
  5. एलर्जी का खतरा: च्युइंग गम में मौजूद रसायन और फ्लेवरिंग एजेंट्स कुछ लोगों में एलर्जी पैदा कर सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभावों के बारे में कई चिंताजनक दावे किए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो विभिन्न शोधों के आधार पर सामने आए हैं:

  1. मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी: वैज्ञानिकों का दावा है कि माइक्रोप्लास्टिक्स अब मानव रक्त, फेफड़ों, मस्तिष्क और यहाँ तक कि गर्भनाल जैसे संवेदनशील ऊतकों में भी पाए गए हैं। उदाहरण के लिए, नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने 2022 में एक अध्ययन में पाया कि 80% से अधिक लोगों के रक्त में माइक्रोप्लास्टिक्स के कण मौजूद थे।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव: वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और कोशिका क्षति का कारण बन सकते हैं। कुछ अध्ययनों में यह भी संकेत मिला है कि ये कण हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जिससे प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) पर असर पड़ता है, जैसे शुक्राणुओं की संख्या में कमी या मासिक चक्र में अनियमितता।
  3. प्रजनन प्रणाली पर असर: शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स मानव और जानवरों के प्रजनन अंगों में जमा हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में मनुष्यों और कुत्तों के अंडकोष में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
  4. लंबे समय तक जोखिम: वैज्ञानिकों का अनुमान है कि माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में जमा होने से कैंसर, तंत्रिका तंत्र की समस्याएँ (जैसे अल्जाइमर), और लीवर व फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, अभी इन प्रभावों की पूरी पुष्टि के लिए और शोध की जरूरत है।
  5. च्युइंग गम से संबंध: कई वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि च्युइंग गम में इस्तेमाल होने वाला सिंथेटिक गम बेस (जैसे पॉलीइथाइलीन और पॉलीविनाइल एसीटेट) माइक्रोप्लास्टिक्स का स्रोत हो सकता है। इसे चबाने से ये सूक्ष्म कण शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे उपरोक्त स्वास्थ्य जोखिम बढ़ते हैं।
  6. पर्यावरणीय प्रभाव: वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण में सर्वव्यापी हो गए हैं। ये पानी, हवा, मिट्टी और खाद्य श्रृंखला में मौजूद हैं, जिससे इनसे बचना लगभग असंभव हो गया है। हर साल लाखों टन माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण में प्रवेश कर रहे हैं, और यह संख्या बढ़ती जा रही है।

च्युइंग गम खाना एक साधारण आदत लग सकती है, लेकिन इसके पीछे छिपे नुकसान गंभीर हैं। खास तौर पर माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics Ke Nuksan) के कारण यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। चाहे वह पाचन तंत्र हो, प्रजनन प्रणाली हो या समग्र स्वास्थ्य, च्युइंग गम के नियमित सेवन से बचना ही बेहतर है। अगर आप इसे चबाना पसंद करते हैं, तो प्राकृतिक और ऑर्गेनिक विकल्पों की तलाश करें जो प्लास्टिक-मुक्त हों।

अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और छोटी-छोटी आदतों के बड़े प्रभावों से सावधान रहें। क्या आप च्युइंग गम के इन नुकसानों से वाकिफ थे? अगर नहीं, तो अब समय है जागरूक होने का!

read more – https://jagrookbharat.com/sada-jawan-kaise-rahein/

more information – https://navbharattimes.indiatimes.com/lifestyle/health/ch

Exit mobile version