ड्राइवर को सतर्क रखने की नई पहल! टक्कर से पहले अलर्ट, बड़े वाहनों में अनिवार्य होंगे सेफ्टी फीचर्स
भारत में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासतौर पर बसों और ट्रकों से जुड़ी घटनाएं आम होती जा रही हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि लंबे सफर के दौरान ड्राइवर को नींद आ जाती है, उनका ध्यान भटक जाता है या वे सही समय पर ब्रेक नहीं लगा पाते। यही कारण है कि सरकार अब बड़े यात्री वाहनों में नए सेफ्टी फीचर्स अनिवार्य करने जा रही है। इससे सड़क हादसों को रोका जा सकेगा और यात्रियों की सुरक्षा में सुधार आएगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत अप्रैल 2026 से सभी नए बड़े यात्री वाहनों में एडवांस सेफ्टी फीचर्स लगाना अनिवार्य होगा।
कौन-कौन से नए सेफ्टी फीचर्स अनिवार्य होंगे?
सरकार ने चार प्रमुख सुरक्षा तकनीकों को बड़े यात्री वाहनों के लिए अनिवार्य करने की योजना बनाई है। ये फीचर्स सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में अहम भूमिका निभाएंगे और ट्रैफिक नियमों को और मजबूत करेंगे।
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1. इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEBS)
कई बार हाईवे पर तेज़ गति से गाड़ी चलाते समय अचानक सामने कोई वाहन या पैदल यात्री आ जाता है, लेकिन ड्राइवर सही समय पर ब्रेक नहीं लगा पाते। AEBS (Autonomous Emergency Braking System) इस समस्या का समाधान करेगा।
कैसे काम करता है?
- यह सिस्टम कैमरा और सेंसर की मदद से सामने की सड़क को स्कैन करता है।
- अगर अचानक कोई वाहन, व्यक्ति या बाधा सामने आ जाती है, तो यह ड्राइवर को ऑडियो और विजुअल अलर्ट भेजता है।
- यदि ड्राइवर समय पर प्रतिक्रिया नहीं देता, तो यह खुद ही ब्रेक लगा देता है।
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2. ड्राइवर ड्रॉजिनेस एंड अटेंशन वार्निंग सिस्टम (DDAWS)
लंबी दूरी के सफर में कई बार ड्राइवर को नींद आ जाती है या उनका ध्यान भटक जाता है। यही वजह है कि कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं। DDAWS इस समस्या को हल करेगा।
कैसे काम करता है?
- यह सिस्टम ड्राइवर की आंखों और सिर की हरकतों को ट्रैक करता है।
- अगर ड्राइवर की आंखें ज्यादा देर तक बंद रहती हैं या सिर झुक जाता है, तो यह तुरंत अलर्ट भेजता है।
- अलर्ट वाइब्रेशन, बीप साउंड या स्क्रीन नोटिफिकेशन के जरिए दिया जाता है।
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3. लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS)
गलत लेन में वाहन जाने से बचाने के लिए यह सिस्टम ड्राइवर को अलर्ट भेजता है, जिससे एक्सीडेंट की संभावना कम होती है।
कैसे काम करता है?
- यह सिस्टम सड़क की लेन मार्किंग को स्कैन करता है और सुनिश्चित करता है कि वाहन अपनी लेन में है।
- अगर बिना इंडिकेटर दिए गाड़ी दूसरी लेन में जाती है, तो यह ड्राइवर को तुरंत अलर्ट भेजता है।
- यह फीचर साउंड नोटिफिकेशन और वाइब्रेशन के जरिए ड्राइवर को सतर्क करता है।
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4. ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम (BSMS)
बड़े वाहनों के ड्राइवर को अपने आसपास की गाड़ियों की जानकारी देने के लिए यह सिस्टम सेंसर का उपयोग करता है और दुर्घटनाओं से बचाता है।
कैसे काम करता है?
- यह सिस्टम गाड़ी के साइड और पीछे लगे सेंसर से आसपास की ट्रैफिक को मॉनिटर करता है।
- जब कोई दूसरी गाड़ी ब्लाइंड स्पॉट में आती है, तो यह ड्राइवर को सचेत करता है।
- यह सिस्टम ओवरटेकिंग और लेन बदलने के समय बेहद मददगार साबित होगा।
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भारत में यह नियम कब से लागू होगा?
भारत सरकार ने इन सुरक्षा फीचर्स को लागू करने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। यह नया नियम अप्रैल 2026 से लागू होगा।
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सरकार ने यह फैसला क्यों लिया?
भारत में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
- 2023 में भारत में करीब 4.5 लाख सड़क हादसे हुए।
- इनमें से 30% दुर्घटनाएं ड्राइवर की नींद, ध्यान भटकने और गलत लेन में जाने के कारण हुईं।
- हजारों मौतें ऐसी दुर्घटनाओं में होती हैं, जिन्हें रोका जा सकता था।
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निष्कर्ष
सरकार का यह फैसला सड़क सुरक्षा के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम, ड्राइवर ड्रॉजिनेस वार्निंग, लेन डिपार्चर वार्निंग और ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग जैसे फीचर्स से सड़क हादसों को कम करने में काफी मदद मिलेगी।
👉 आपको क्या लगता है, सरकार का यह कदम कितना असरदार होगा? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं! 😊