मासूम शर्मा के डिलीट हुए गाने: सरकार की कार्रवाई या कुछ और?

हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री के सुपरस्टार मासूम शर्मा ने अपनी दमदार आवाज़ और जबरदस्त गानों से लाखों दिलों में जगह बनाई है। लेकिन हाल ही में उनके कई गाने यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से डिलीट कर दिए गए हैं, जिससे फैंस के बीच नाराजगी और सवाल उठ रहे हैं। इस बार गाने डिलीट होने की वजह सरकारी कार्रवाई भी मानी जा रही है। आखिर क्या है इसकी सच्चाई? आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं।

 

1. प्रारंभिक जीवन (Early Life)

मासूम शर्मा का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हरियाणा में पूरी की और इसके बाद संगीत में अपना करियर बनाने का फैसला किया।

2. संगीत करियर की शुरुआत (Music Career)

हरियाणवी म्यूजिक की दुनिया में मासूम शर्मा ने अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत लोकगीतों से की, लेकिन उन्हें असली पहचान “फरारी”, “लाड पिया के”, “बंदूक चलगी” और “याराना” जैसे सुपरहिट गानों से मिली।

उनकी आवाज़ में एक अलग ही जोश और दमदार हरियाणवी टच है, जिसने उन्हें बहुत जल्दी सफलता दिलाई।

कौन-कौन से गाने हुए डिलीट?

इन गानों के हटने से फैंस में काफी नाराजगी देखी जा रही है, क्योंकि ये गाने पहले लाखों व्यूज और लाइक्स हासिल कर चुके

तीन प्रतिबंधित गाने— ‘ट्यूशन बदमाशी का’, ’60 मुकदमे’ और ‘खतौआ’—पिछले हफ्ते यूट्यूब से हटा दिए गए थे। इन गानों पर गन कल्चर (हथियारों की संस्कृति) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है, जो एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन गया है, खासकर पड़ोसी राज्य पंजाब में, जहां संगीत कलाकारों के बीच इसी तरह के रुझान देखे गए हैं।

इसके अलावा, हरियाणा सरकार ने हरियाणवी गायक अंकित बालियान और नरेंद्र भगाना के दो अन्य गानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार का कहना है कि ये गाने गुंडागर्दी और गन कल्चर को बढ़ावा देते हैं।

हालांकि, इस पूरे मामले में मासूम शर्मा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि उनके तीन गानों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

15 मार्च को फेसबुक लाइव सेशन के दौरान, मासूम शर्मा ने राज्य प्रचार विभाग के एक अधिकारी पर उन्हें व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण निशाना बनाने का आरोप लगाया। हालांकि, उन्होंने उस अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया।

 

 

मीडिया से बुधवार को बात करते हुए, मासूम शर्मा ने यह साफ कर दिया कि वह किसकी ओर इशारा कर रहे थे। उन्होंने खास तौर पर गाने ‘तड़के पावेगी लाश नहर में’ का जिक्र किया, जिसे गजेन्द्र फोगाट ने गाया है। गजेन्द्र फोगाट इस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के प्रचार विभाग में विशेष कार्य अधिकारी (OSD) के रूप में कार्यरत हैं।

फोगाट ने दिया जवाब
मीडिया से बात करते हुए गजेन्द्र फोगाट ने कहा, “मासूम शर्मा यह सब सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए कर रहे हैं। कलाकारों के लिए मैं एक आसान निशाना हूं। मैंने किसी का गाना डिलीट नहीं कराया। गाने साइबर सेल द्वारा हटाए गए हैं और इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। केवल उन्हीं गानों को हटाया गया है, जिन पर पुलिस विभाग की साइबर सेल को आपत्ति थी।”

राज्य प्रचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी (जिन्होंने गुमनाम रहने की शर्त पर ThePrint से बात की) ने भी मासूम शर्मा के आरोपों को खारिज कर दिया है।

कलाकारों की प्रतिक्रिया
गायक और रैपर कुलबीर डानोदा (KD) ने 16 मार्च को अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा,
“सरकार और प्रशासन द्वारा समाज सुधार के लिए उठाया गया हर कदम स्वागत योग्य है, बशर्ते कि यह किसी साजिश का हिस्सा न हो। क्योंकि उद्देश्य समाज सुधार होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत दुश्मनी निकालना।”

सरकार की सख्ती
यह कार्रवाई दो महीने पहले करनाल में हुई कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक के बाद आई है, जहां मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हरियाणवी गायकों द्वारा गन कल्चर को बढ़ावा देने और युवाओं को अपराध की ओर धकेलने पर चिंता जताई थी।

उस दौरान, सीएम सैनी ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वे उन गानों की निगरानी करें जो हथियारों और नशे को महिमामंडित करते हैं।

“प्रतिबंध केवल हरियाणवी कलाकारों पर नहीं लगना चाहिए” – मासूम शर्मा

मासूम शर्मा, 33 वर्षीय हरियाणवी गायक, अपनी 2023 की EP “रूपा” के लिए व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं। हरियाणवी पॉप म्यूजिक में उनके योगदान के कारण, उन्होंने कई लोकप्रिय गाने जारी किए हैं, जिनमें ‘जप नाम भोले का’ (2021), ‘2 नंबर’ (2021), ‘गुंडे ते प्यार’ (2021), ‘ट्यूशन बदमाशी का’ (2022), ‘भगत आदमी’ (2022), ‘एक खतौला जेल के भीतर’ (2023), ‘बदमाशां का ब्याह’ (2024), और ‘लोफर’ (2024) शामिल हैं।

SYL विवाद में भी दिया था योगदान

2022 में, मासूम शर्मा ने SYL हरियाणवी नामक एक गाना रिलीज़ किया था, जो सिद्धू मूसेवाला के मरणोपरांत जारी हुए SYL (सतलुज-यमुना लिंक) नहर विवाद पर बने गाने के जवाब में था।

गाने बैन करने पर नाराजगी

मासूम शर्मा ने अपने गानों पर लगाए गए प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया है। फेसबुक लाइव के दौरान, उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी (जो अब एक बड़े सरकारी पद पर हैं) ने पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और उनके गानों को बैन करवा दिया।

“सिर्फ हरियाणवी गानों पर कार्रवाई क्यों?”

 

मासूम शर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा,
“मेरे गानों पर गुंडागर्दी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है, लेकिन कई कलाकार अश्लीलता को लोक संगीत के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उन पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए। कई गायक शादीशुदा महिलाओं, बहुओं और लड़कियों पर गाने बनाते हैं, जो समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। बहुत सारे डबल-मीनिंग गाने बनाए जाते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।”

उन्होंने आगे कहा,
“अगर हरियाणवी गानों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो युवा पंजाबी गाने सुनने लगेंगे। सरकार को उन सभी गानों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, जो गन कल्चर को बढ़ावा देते हैं, चाहे वे हरियाणवी हों या पंजाबी। केवल हरियाणवी कलाकारों को निशाना बनाकर हमारा रोजगार छीना जा रहा है।”

 

“गाने की शूटिंग से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है” – मासूम शर्मा

मासूम शर्मा ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा,
“एक गाने की शूटिंग के दौरान 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है, जो रोज़ाना ₹800-₹1,000 कमाते हैं। अगर उनका काम बंद हो जाता है, तो क्या सरकार उन्हें नौकरी देगी?”

उन्होंने आगे कहा,
“अगर सरकार निष्पक्ष तरीके से काम करती है, तो मैं खुद गुंडागर्दी वाले गाने बनाना बंद कर दूंगा और सिर्फ भजन गाऊंगा।”

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

सोशल मीडिया पर लोग सरकार की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अमित रोहताकिया, अजय हूडा और हेमंत फौजदार जैसे गायकों ने भी गुंडागर्दी और गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गाने गाए हैं, लेकिन उनके गानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

#ISupportMasoomSharma हुआ ट्रेंड

इस बीच, सोशल मीडिया पर #ISupportMasoomSharma ट्रेंड कर रहा है, जिसमें लोग मासूम शर्मा का समर्थन कर रहे हैं।

हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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