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तहव्वुर राणा: अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित, तिहाड़ जेल में रखे जाएंगे – पूरी जानकारी

तहव्वुर राणा

तहव्वुर राणा: अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित, तिहाड़ जेल में रखे जाएंगे – पूरी जानकारी

तहव्वुर राणा, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल होने के आरोपी, को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, क्योंकि राणा को 26/11 हमलों के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक माना जाता है। इस लेख में हम तहव्वुर राणा के बारे में, उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया, और भारत में उनके भविष्य के बारे में आसान हिंदी में विस्तार से जानेंगे।

तहव्वुर राणा कौन हैं?

तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, जिनका जन्म 12 जनवरी 1961 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था। वे पेशे से डॉक्टर थे और पाकिस्तान आर्मी मेडिकल कोर में कैप्टन के तौर पर काम कर चुके हैं। 1990 के दशक में वे अपनी पत्नी के साथ कनाडा चले गए और 2001 में कनाडाई नागरिकता हासिल की। बाद में वे अमेरिका के शिकागो में बस गए, जहाँ उन्होंने “फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज” नाम की कंपनी शुरू की।

राणा का नाम तब सुर्खियों में आया जब उन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमलों से जोड़ा गया। भारतीय जांच एजेंसियों का मानना है कि उन्होंने अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को हमलों की योजना बनाने में मदद की। हेडली, जो एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी था, ने मुंबई में हमले के लिए जगहों की रेकी की थी। राणा ने अपनी कंपनी का इस्तेमाल हेडली को भारत में वीजा और कवर देने के लिए किया था।

26/11 मुंबई हमले में भूमिका

26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों में 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने 60 घंटे से ज़्यादा समय तक शहर को बंधक बनाए रखा। इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) था। जांच में पता चला कि राणा ने हेडली को मुंबई में रेकी के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था।

मुंबई पुलिस की 2023 की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के मुताबिक, राणा 11 से 21 नवंबर 2008 तक भारत में थे और एक फाइव-स्टार होटल में रुके थे। हमले 26 नवंबर को हुए, यानी उनकी यात्रा के ठीक बाद। पुलिस का कहना है कि राणा ने हेडली को ईमेल के ज़रिए निर्देश दिए और वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ लिंक थे।

अमेरिका में कानूनी लड़ाई

राणा को अक्टूबर 2009 में अमेरिका के शिकागो हवाई अड्डे पर FBI ने गिरफ्तार किया था। उन्हें मुंबई हमलों और डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश रचने के आरोप में पकड़ा गया था। 2011 में शिकागो की एक अदालत ने उन्हें लश्कर-ए-तैयबा को सामग्री सहायता देने और डेनिश अखबार पर हमले की साजिश के लिए दोषी ठहराया, लेकिन मुंबई हमलों से सीधा जुड़ाव साबित नहीं हुआ। उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई।

2020 में कोविड-19 की वजह से उनकी सेहत खराब होने पर उन्हें जल्दी रिहा कर दिया गया। इसके बाद भारत ने उनकी प्रत्यर्पण की मांग फिर से उठाई। जून 2020 में भारत ने औपचारिक रूप से अमेरिका से उनकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की मांग की। राणा ने इसके खिलाफ कई कानूनी याचिकाएं दायर कीं, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में उन्हें यातना और मौत का खतरा है। उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला भी दिया, जिसमें हार्ट अटैक, पार्किंसंस, किडनी की बीमारी और कैंसर जैसी समस्याएं शामिल थीं।

हालांकि, अगस्त 2023 में कैलिफोर्निया की एक अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। राणा ने इसके खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन 7 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी 2025 में उनकी प्रत्यर्पण की पुष्टि की थी।

भारत का प्रत्यर्पण प्रयास

भारत ने लंबे समय से राणा को वापस लाने की कोशिश की। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2011 में राणा, हेडली और सात अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। उन पर हत्या, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और आतंकवाद की साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। भारत का कहना था कि राणा के पास हमले की योजना और ISI की भूमिका के बारे में अहम जानकारी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर सहमति बनी। अमेरिका ने भारत को भरोसा दिया कि राणा को सौंपा जाएगा। अप्रैल 2025 में एक भारतीय टीम, जिसमें NIA और खुफिया एजेंसी के अधिकारी शामिल थे, अमेरिका गई। 8 अप्रैल को सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी हुईं और राणा को एक विशेष चार्टर्ड विमान से भारत लाया गया।


तिहाड़ जेल में रखने की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, राणा को भारत लाने के बाद दिल्ली में NIA मुख्यालय में पूछताछ की जाएगी। इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। तिहाड़ में उनके लिए खास इंतजाम किए गए हैं, जैसे CCTV निगरानी, अलग सेल और 24×7 सुरक्षा। उनकी सेहत को देखते हुए मेडिकल सुविधाएं भी तैयार की गई हैं।

हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्हें मुंबई की जेल में भी शिफ्ट किया जा सकता है, क्योंकि मुंबई हमले का मामला वहीं से जुड़ा है। यह फैसला सुरक्षा और जांच की जरूरतों के आधार पर होगा। राणा का ट्रायल दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में NIA की विशेष अदालत में होगा। उनकी पेशी फिजिकल या वर्चुअल हो सकती है, यह सुरक्षा हालात पर निर्भर करेगा।

क्या होगा आगे?

राणा के भारत आने से 26/11 हमले की जांच में नई जानकारी सामने आ सकती है। NIA को उम्मीद है कि राणा से पूछताछ में पाकिस्तान के ISI और लश्कर-ए-तैयबा के बड़े नेताओं की भूमिका साफ होगी। उनकी यात्राओं, ईमेल और हेडली के साथ बातचीत के रिकॉर्ड को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।

राणा पर कई धाराओं में मुकदमा चलेगा, जिसमें IPC की धारा 302 (हत्या), 121 (देश के खिलाफ युद्ध), और UAPA के तहत आतंकवाद के आरोप शामिल हैं। अगर दोषी साबित हुए, तो उन्हें उम्रकैद या फांसी तक की सजा हो सकती है।

क्यों है यह बड़ी जीत?

  • न्याय की उम्मीद: 26/11 हमले में मारे गए लोगों के परिवारों और बचे हुए लोगों के लिए यह न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।
  • भारत-अमेरिका सहयोग: यह दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ मजबूत साझेदारी को दिखाता है।
  • पाकिस्तान पर दबाव: राणा की पूछताछ से पाकिस्तानी एजेंसियों की भूमिका उजागर हो सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा।

निष्कर्ष

तहव्वुर राणा का अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण और तिहाड़ जेल में रखा जाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ 26/11 हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में बढ़त है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को मज़बूती देता है। राणा की जांच और ट्रायल से कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला कैसे आगे बढ़ता है।

आपको तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बारे में क्या लगता है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं!

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source- https://www.indiatoday.in/india/story/2611-tahawwur-rana

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